Sunday, December 16, 2012

Hariom Homoeopathy

हृदय रोगों,एन्जानल पैन, उच्च कोलेस्ट्रॉल या उच्च रक्तचापके जैसे रोगों के लिए भी होम्योपैथी
जैसी निर्दोष चिकित्सा पद्धत्ति.....!!!!!!!
आइये जाने........
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होम्योपैथिक उपचार विभिन्न हृदय रोगों में कारगर रहे हैं। यह रोगसूचक हृदय रोग में, उच्च रक्तचाप से, हाइपरकैलोस्ट्रोलेमिया और हृदय अरहायथिमियास से तीव्रता से राहत दे सकता है। यह सुरक्षित है, प्राकृतिक, प

्रभावी उत्पादों और प्रक्रिया, के साथ लगभग कोई दुष्प्रभाव नही है, और लत के लिए भी कोई संभावना नही है।

हृदय रोगों के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा :
होम्योपैथी हृदय रोगों की रोकथाम और दिल के दौरे के बाद रोग के रोगियों के प्रबंधन में मुख्य भूमिका निभाती है। होम्योपैथिक दवाएं हृदय रोगों के नियंत्रण और दिल के दौरे के विभिन्न कारणों जैसे कोलेस्ट्रॉल मे वृद्धि, उच्च रक्तचाप आदि को भी रोकता है। लेकिन गंभीर दिल के दौरे के मामले में इमर्जन्सी चिकित्सा लेना ना भूले |

उच्च कोलेस्ट्रॉल के लिए उपचार

होम्योपैथिक चिकित्सा उच्च कोलेस्ट्रॉल का उपचार कर अथेरोस्क्लेरोसिस को भी नियंत्रित कर सकती है जो धमनियों के अवरोधन का और दिल के दौरे का कारण होता हैं।

होम्योपैथिक चिकित्सा में Sumbul , Strophanthus , Strontium Carb. रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए प्रभावी रहे हैं। कुछ होम्योपैथिक औषधियों को हृदय वाहिकाओं मे कोलेस्ट्रॉल के संचय को कम करने के लिए भी मशहूर माना जाना जाता है। इनमे Crataegus,Aurum Met., Baryta Carb., Calcarea Carb. शामिल हैं।

होम्योपैथिक उपचार आहार संशोधन और नियंत्रण के साथ जुङा है, अतः औषधि के साथ हि शारीरिक व्यायाम भी किया जाना चाहिए। उपचार में कोई परिवर्तन प्रायः रक्त कोलेस्ट्रॉल के परीक्षण के बाद किया जाता है। औषधियों के प्रभाव के आधार पर दवाओं का प्रयोग आमतौर पर धीरे - धीरे कम होता जाता है। अक्सर दवा का चयन लक्षणों और वैयक्तिक आधार पर हि किया जाता है।

उच्च रक्तचाप का उपचार:
रोगीयों में उच्च रक्तचाप का उपचार रोगी के द्वारा पूर्व में ली जा रही चिकित्सा (एलोपैथी या होम्योपैथिक) पर भी निर्भर करता है ।

इसमें कुछ दवाओं जैसे Aurum met., Belladonna, Calcarea Carb., Glonoine, Lachesis, Nat.Mur., Nux Vom., Phos., और Plb.Met. जैसी औषधियां शामिल हैं,

ऐसे रोगी जो उच्च रक्तचाप के नियंत्रण के लिए एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करते है जैसे बीटा ब्लॉकर्स, कैल्शियम, चैन ब्लॉकर्स, एसीड इनहिबीटर आदि लम्बी अवधि के लिए होम्योपैथिक उपचार के साथ आमतौर पर मुश्किल है। अतः कई बार देखा गया है की उच्च रक्तचाप के नियंत्रण एवं हृदय रोगों के लिए ली जा रही एलोपैथिक दवाओं के साथ हि कुछ चिकित्सक होम्योपैथिक दवाएं भी देतें है जैसे Rauwolia, Allium Sativum, Pssiflora, Baryta Mur., Adrenalin, Belladonna,Glonoine, GelGelsemium जो रोगियों के लिये प्रायः बहूत हि लाभदायक साबित होती है।

होम्योपैथिक उपचार के साथ सावधानी


यदि आप उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल के लिए नियमित रूप से होम्योपैथी उपचार करा रहे है, तो औषधियों के साथ हि साथ आप को अपने चिकित्सक की सलाहनुसार बताए गए परहेजों और व्यायाम को भी अपनी दैनिक दिनचर्या में जोड़ना चाहिए......
यदि आप एलोपैथिक दवाओं के साथ हि होम्योपैथिक उपचार भी करा रहे है तो इस बारे में अपने दोनों चिकित्सको को सूचित करे। अपने चिकित्सकों के परामर्श के बिना एलोपैथिक दवाओं को लेना बंद या उनके साथ समायोजन ना करें | होम्योपैथिक दवाओं के साथ तीव्र दिल के दौरे के उपचार स्वीकार्य नहीं है। यदि आपको दिल का दौरा है तो आप इमर्जन्सी चिकित्सा लेना ना भूलें....!!!

रोगियों में होम्योपैथिक दवाओं के साथ संभावित उपचारात्मक समाधान प्रस्तुत है, दुर्लभ या कोई दुष्प्रभाव नही, लत की भी कोई संभावना नही और शायद ही कभी नकारात्मक दवाओं की पारस्परिक क्रियाएं हो। इन उपायों से आपके संपूर्ण शरीर को लाभ होगा और आप उत्तम स्वास्थय प्राप्त करेंगे और प्रायः एलोपैथिक दवाओं की आवश्यकता कम हि होगी।

प्रस्तुत  लेख का उद्देश्य, जनसामान्य में होमियोपैथिक चिकित्सा जैसी निर्दोष पद्धति के प्रति जागरूकता लाना मात्र है, कोई भी व्यक्ति लेख में वर्णित किसी भी औषधि को किसी कुशल होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बाद हि लें, अपने आप किसी भी औषधि का प्रयोंग ना स्वयं पर करें, ना हि किसी अन्य रोगी पर कर के अपने तथा उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करें...पाठकों से ऐसी हमारी करबद्ध प्रार्थना है......!!

होमियोपैथी के साथ हि साथ अब तो आधुनिक चिकित्साविज्ञान भी ये मान चुका है की शरीर में कोई भी रोग, तब तक अपने लक्षण नहीं प्रकट कर पाता जब तक की शरीर का रोगप्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है, भले हि फिर शरीर में रोग के कीटाणुओं से सम्बंधित सारे टेस्ट पोजिटिव आये.....जैसे हि शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता घटी की शरीर पर रोग का आक्रमण हो जाता है......बस इसी स्थिति से निबटने के लिये आश्रम द्वारा तैयार किया गया है " होमियो पॉवर केअर "...जो कभी भी आप के शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को घटने नहीं देता...और देता है शरीर में स्फुर्ती और बल.......|
अधिक जानकारी के लिये संपर्क करे.....डॉ. बृजेश गुप्ता +91 1704 223343, +91 93189 88739.

Friday, July 8, 2011

जो परवश हो कर बहता है,वह खून नही पानी है।

भारतीय संस्कृति का चीरहरण कर रही यह यू.पी.ए. सरकार भ्रष्टाचारी...
भारत देश से भगाओ संस्कृति को नष्ट कर रही इटालियन गांधारी...
भारत देश दुनिया में अगर किसी कारण से दुनिया के बाकी देशों से अलग पहचान दर्शाता है तो वो है इस देश की महान संस्कृति । क्योंकि इस देश की संस्कृति देव-संस्कृति कहलाती है । बाकी पाश्चात्य देशों में पशु-संस्कृति प्रचलित है । भारत में योग की प्रधानता है जबकि पश्चिमी देशों में भोग की प्रधानता है । खाना, पीना, भोग भोगना - सिर्फ इसीको जीवन जीने का आधार बनाना पशु-संस्कृति नहीं तो और क्या है ! किन्तु भारतीय संस्कृति जीवन को ऊँचा लक्ष्य देती है और उसकी शुरुआत होती है धर्म के अर्जन से तथा पूर्णाहुति होती है मोक्ष से । दुनिया में कोई संस्कृति जीवन में इतना ऊँचा उद्देश्य मानव जाति को नहीं देती है जितना ऊँचा उद्देश्य भारतीय ऋषियों ने यहाँ की संस्कृति में दिया है ।
 किन्तु खेद की बात है कि इस महान भारतीय संस्कृति की विरासत को मिट्टी में मिला देने का दुःस्वप्न आज विदेश से आयी एक झूठी, भ्रष्ट, गँवार महिला देख रही है और उसे अंजाम देने में मदद कर रहे हैं कांग्रेस के सत्तालोलुप सोनिया के चापलूस नेता ।
जब से यू.पी.ए. सरकार बनी है तब से ही यहाँ के राष्ट्रवादी व सामाजिक संगठनों को नष्ट-भ्रष्ट करने का कुचक्र चल पड़ा है । सबसे पहले षड्यंत्र का शिकार बनाने की कोशिश की गयी  वीर सावरकर द्वारा स्थापित हिन्दू संगठन 'अभिनव भारत' तथा अन्य हिन्दू संगठन 'राषट्रीय स्वयं सेवक संघ' को । फिर धर्मांतरण के खिलाफ जन-जागृति का अभियान चलानेवाली हस्तियाँ साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद पर शिकंजा कसा गया । और स्वामी लक्ष्मणानंद की तो निर्मम हत्या ही कर दी गयी क्योंकि वे विदेशी साजिशों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे । तत्पश्चात् शुरू हुआ भारतीय संस्कृति के आधारस्तम्भ उन संतों को चुन-चुनकर बदनाम करने का षड्यंत्र, जो इस महान संस्कृति को सदियों से मजबूत करने की परम्परा को बिना स्वार्थ निभाते आ रहे थे । उसके लिए करोड़ों-करोड़ों रुपये खर्च कर न्यूज चैनलों तथा अखबारों के माध्यम से संतों का तथा संस्कृति की जड़ों को नष्ट-भ्रष्ट करने का कुचक्र-सा चल पड़ा है । शुरुआत हुई कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती से, फिर श्री सत्यसाँईं बाबा, श्री कृपालु महाराज, संत श्री आशारामजी बापू, श्री सुधांशु महाराज, श्री श्री रविशंकर और अब रामदेव बाबा को बदनाम कर यह सोनिया गाँधी व यू.पी.ए. सरकार भारत को संस्कृति व संस्कारहीन, प्राणहीन बना देना चाहती है ।
 सोनिया के सच को स्वयं सोनिया तथा उसके चाटुकार चमचे नेताओं ने देश से छुपाया । सोनिया अपना जन्म सन 1948 बताती है जबकि उसका जन्म 9 दिसम्बर 1944 है । सोनिया का वास्तविक नाम एन्टोनिया माइनो है । जब वह जन्मी तब उसके पिता चार वर्षों से जेल में थे । इस वजह से उसका जन्म भी विवादास्पद है । देखें यू-टयूब पर डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी EXPOSED  SONIYA   जिसमें विद्वान सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सप्रमाण सोनिया के झूठ को सामने लाया है । सोनिया गाँधी ने संसद में हलफनामा देकर अपने को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्रीधारी बताया था । झूठ पकड़े जाने पर सोनिया ने दूसरा हलफनामा दायर कर बताया कि  वह कैम्ब्रिज से डिग्री पास नहीं है। कांग्रेस के सोनिया के चमचे उसे 10 वीं पास बताते हैं । जबकि वास्तव में सोनिया तो राबड़ी देवी के बराबर पाँचवीं फेल है । भारतीय कानून के अनुसार शिक्षा संबंधित झूठा शपथ-पत्र संसद में देने पर पद से हटाने से लेकर जेल तक की सजा का प्रावधान है तो सोनिया को कब मिलेगी जेल...? ऐसी झूठी मक्कार महिला रशिया की जासूसी संस्था के.जी.बी. में नौकरी कर चुकी है । हो सकता है वह इसी संस्था के तहत जासूसी करने राजीव शादी का ढोंग रचाकर देश की खुफिया जानकारी विदेश भेजती हो । ऐसी झूठी महिला के खिलाफ कोई केस करे तो झूठा हलफनामा देने के जुर्म में उसे कैद तक हो सकती है । इस महिला ने दूसरा सबसे बड़ा झूठ बोला कि उसने प्रधानमंत्री पद का त्याग किया है और उसकी इस बात का साथ दे रहे थे स्वाभिमानहीन चाटुकार कांग्रेसी नेता । किन्तु वास्तविकता तो यह है कि सोनिया ने प्रधानमंत्री बनने के लिए खुद राष्ट्रपति कलाम को पत्र लिखा था जो कि डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने देखा था । इसलिए डॉ. स्वामी ने राष्ट्रपति से मिलकर संविधान के अनुसार सोनिया गाँधी भारत की प्रधानमंत्री नहीं बन सकती है यह समझाया और अगर सोनिया को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलायी तो कोर्ट में उसे चुनौती देने की बात कही थी । इस बात को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने सोनिया गाँधी को कानूनी तौर पर वह प्रधानमंत्री नहीं बन सकती हैं - ऐसा बतला दिया था । इस प्रकार सोनिया गाँधी की प्रधानमंत्री बनने की साजिश विफल हो गयी तो उसके चमचे उसे त्याग की उपमा देने लगे । ऐसी कई सनसनीखेज बातों का खुलासा डॉ. स्वामी ने अपनी पुस्तक में तथा यू-टयूब पर किया है । इसे देख-समझकर लगता है कि किस तरह यह महिला देश को लूटने के लिए झूठ-पर-झूठ बोले जा रही है ! और इससे भी दुःखपूर्ण है कि इस देश के कांग्रेसी चाटुकार नेता ढोंगी देशद्रोही महिला के कहने पर देश व संस्कृति के खिलाफ नंगा नाच कर रहे हैं, वो भी इस भ्रष्टाचार की देवी को प्रसन्न करने के लिए ! आखिर यह झूठी, भ्रष्ट सोनिया उन्हें क्या दे देगी ! आज कांग्रेस में अगर देशभक्त स्वाभिमानी नेता हैं तो उन्हें तथा भारत के प्रत्येक नागरिक को सोनिया गाँधी नाम के पाप को देश से मिटा डालने के लिए कमर कस लेनी चाहिए । यह महिला देश को तोड़ने व गुलाम बनाने का दुःसाहस पाले हुए है । जागो भारतवासियो ! जागो...!!
         - हिन्दुस्तान निर्माण दल
राष्ट्रीय अध्यक्ष
श्री तपन घोष
राष्ट्रीय महामंत्री
श्री शैलेन्द्र जैन
 फोन नं.ः 09871332666.
यह पर्चा देशहित में आप स्वयं भी छपवाकर बँटवा सकते हैं ।

Friday, February 11, 2011

HARI OM: A New Understanding of the Natural World

HARI OM: A New Understanding of the Natural World

A New Understanding of the Natural World



Homeopathy: A New Understanding of the Natural World
Samuel Hahnemann, M.D., has been called The Original Naturopathic Physician. Nutrition, Biological Dentistry, Physical Manipulation, Acupuncture, Ayurvedic body typing, Counseling, Detoxification and much more all fit within the multi-layered system known as "Heilkunst" (in German this means The Medical Art, or "Wholeness-Making"), that Dr. Hahnemann envisioned and practiced the best he could at the time (early 1800s). Hahnemann discovered the science of life energies. 
      E = mc2 This is a way of understanding Life as simultaneously Substance and Energy. Dr. Hahnemann was ahead of his time -- over 100 years before Einstein he developed a dynamic scientific system of thought that led to a more powerful system of cure for Disease by treating people as both Substance and Energy. When used as part of a series of steps taken using the Heilkunst program, many seemingly unrelated approaches can be integrated into an individualized health improvement journey that frees the person to enjoy more vibrant health.
    The multi-dimensional thinking inherent in the practice of homeopathy helps make sense of body and mental symptoms and unseen processes that allopaths don't consider.
Major discoveries that come from this approach to observing life include that there are two kinds of Diseases -- called Tonic (causing mis-tunement) and Pathic (the pathologies created from that mistunement) -- that have been found deep inside of people causing imbalances and inappropriate functioning at all levels. These are the classical homeopathic term of "Miasmatic Diseases", and related diseases that have been recently classed as separate, called "Chthonic Diseases", and arepresent in virtually everyone to some degree until they are removed using homeopathic treatment .
     The information on this page lays out many of the important aspects of this system.stem"
Forum description by Rudi Verspoor, DMH, explaining the need for clarity in exploring what
Dr. Hahnemann began to disclose about the homeopathic phenomenon and how he used
it as part of his complete medical system; with Dr. Wilson's comment about eager
students who seek to know truth. This contains additional description of the Dynamis
within each person and its Sustentive and Generative aspects -- a unique contribution of
Dr. Hahnemann to the science of healing. He began to triturate (grind) and succuss (shake) the medicinal substances, discovering by experiment that the highly diluted remedies were even more potent after they had been succussed... The universe was pervaded by the vital force. Hahnemann was no theoretical mystic; he was a practical experimenter whose reach in these matters exceeded his grasp because he was confronted with material two hundred years before a vocabulary to deal with it had been developed. Even now most of us still operate in a Newtonian, pre- Einsteinian universe, despite the fact that modern physics has revealed its partiality.. "It is only the ignorant vulgar that still look upon matter as dead mass, for from its interior can be elicited incredible and hitherto unsuspected powers...".

Samuel Hahnemann, M.D.
One of many studious observers of nature and humankind. His personal motto:
Aude sapere   ("Dare to Know")
      Homeopathy is not simply an interesting footnote in healthcare history. This dynamic interface between the physical and energy aspects of life is a field for research and clinical application that is integral to the Expanded Paradigm. I have known researchers, clinicians, and CEOs of corporations dealing with the many aspects of homeopathy and its use in health care. Worldwide, there are over two centuries of research and clinical discoveries about this phenomenon that can only be explained in terms of quantum physics and the
dual nature of life (simultaneously Substance and Energy). On this internet site I have written several pages about my understanding of homeopathy, its relationship to Acumeridian Science, autonomic function and recent theoretical possibilities that would help explain how it works, and how it fits into an overall Energy Medicine paradigm of health and health care for both mind and body.
Proposed Comparison of Scientific Discoveries Candace Pert's work on Neurotransmitters
Author of The Molecules of Emotion, her work has been described as postulating "one neurotransmitter for each emotion" Discovery led to major change in biochemistry model of mental health. Continuing to learn how important this is.
Samuel Hahnemann's work with vibrated dilutions
Author of Das Organon Der Heilkunst, his work can be described as postulating "one resonant correspondence between an item (plant, mineral, animal, etc.) and a human state of function (mental, physical)". Led to major change in overall model of physical/mental
health. Removing bondage to fears, leading to new understanding of the landscape of your \ life. Freeing inner healing powers.
Wilhelm Reich, M.D., and experiments which released tremendous energies.
I will place text containing a review of his "Incandescence Experiment" in 1939, that released "pocketsof energy glimmering with an intense blue...". He went on to develop Orgone theory, orgone accumulators, and more.
    The American College of Orgonomy promotes Dr. Reich's work.
Listen to podcasts about Orgone energy and Dr. Reich's work Public Orgonomic Research Exchange: Translations, Orgone accumulator plans, links and testimonials about Orgone energy.
Addressing Opposition to Homeopathy
Because the attacks I have seen against homeopathy are based on incomplete understanding of the physics and physiology involved, and complicated by reaction to enthusiastic promotions of homeopathy by those who have experienced its endorphin-modulating effects, I plan to add to this section.

NOTE 1: Please understand that homeopathic medicines are made by both diluting AND
percussing/vibrating substances. [Mere dilution -- with gentle swirling/stirring of the liquid -- does not result in enhanced healing when given to a patient.] The vibration separates the energy from the substance and the resulting preparation has been called "Energy before Matter" in literature I found from the Hahnemann College for Homeopathy & Heilkunst.
NOTE 2: "Classical Homeopathy" often does not work effectively due to inaccurate translations of the insights of Dr. Hahnemann. Accurate practice is being taught at the Hahnemann College for Homeopathy & Heilkunst. I describe their approach as logical application of energy dynamics, as opposed to the almost mystical "one remedy cures all" model that has resulted from incorrect translation of what Hahnemann described.

Thursday, February 10, 2011

यदि पाना चाहते है सफलता,अपने हर कदम पर तो.....


श्री गोस्वामी तुलसीदास विरचित अत्रिमुनि द्वारा श्रीराम स्तुति का नित्य पाठ करें। निम्न छन्द अरण्यकाण्ड में वर्णित है।
`मानस पीयूष´ के अनुसार यह `राम चरित मानस की नवीं स्तुति है और नक्षत्रों में नवाँ नक्षत्र आश्लेषा (नक्षत्र स्वामी-बुध) है। अत: जीवन में जिनको सर्वोच्च आसन पर जाने की कामना हो, वे इस स्तोत्र को भगवान् श्रीराम / रामायणी हनुमान के चित्र या मूर्ति के समक्ष बैठकर नित्य पढ़ें।
।।श्रीअत्रि-मुनिरूवाच।।
नमामि भक्त-वत्सलं, कृपालु-शील-कोमलम्।
भजामि ते पदाम्बुजं, अकामिनां स्व-धामदम्।।1
निकाम-श्याम-सुन्दरं, भवाम्बु-नाथ मन्दरम्।
प्रफुल्ल-कंज-लोचनं, मदादि-दोष-मोचनम्।।2
प्रलम्ब-बाहु-विक्रमं, प्रभो·प्रमेय-वैभवम्।
निषंग-चाप-सायकं, धरं त्रिलोक-नायकम्।।3
दिनेश-वंश-मण्डनम्, महेश-चाप-खण्डनम्।
मुनीन्द्र-सन्त-रंजनम्, सुरारि-वृन्द-भंजनम्।।4
मनोज-वैरि-वन्दितं, अजादि-देव-सेवितम्।
विशुद्ध-बोध-विग्रहं, समस्त-दूषणापहम्।।5
नमामि इन्दिरा-पतिं, सुखाकरं सतां गतिम्।
भजे स-शक्ति सानुजं, शची-पति-प्रियानुजम्।।6
त्वदंघ्रि-मूलं ये नरा:, भजन्ति हीन-मत्सरा:।
पतन्ति नो भवार्णवे, वितर्क-वीचि-संकुले।।7
विविक्त-वासिन: सदा, भजन्ति मुक्तये मुदा।
निरस्य इन्द्रियादिकं, प्रयान्ति ते गतिं स्वकम्।।8
तमेकमद्भुतं प्रभुं, निरीहमीश्वरं विभुम्।
जगद्-गुरूं च शाश्वतं, तुरीयमेव केवलम्।।9
भजामि भाव-वल्लभं, कु-योगिनां सु-दुलर्भम्।
स्वभक्त-कल्प-पादपं, समं सु-सेव्यमन्हवम्।।10
अनूप-रूप-भूपतिं, नतोऽहमुर्विजा-पतिम्।
प्रसीद मे नमामि ते, पदाब्ज-भक्तिं देहि मे।।11
पठन्ति से स्तवं इदं, नराऽऽदरेण ते पदम्।
व्रजन्ति नात्र संशयं, त्वदीय-भक्ति-संयुता:।।12

हे भक्तवत्सल ! हे कृपालु ! हे कोमल स्वभाववाले ! मैं आपको नमस्कार करता हू¡। निष्काम पुरूषों को अपना परमधाम देनेवाले आपके चरणकमलोंको मैं भजता हू¡।आप नितान्त सुन्दर श्याम, संसार (आवागमन) रूपी समुद्र को मथने के लिये मन्दराचल रूप, फूले हुए कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं।हे प्रभो ! आपकी लम्बी भुजाओं का पराक्रम और आपका ऐश्वर्य अप्रमेय (बुद्धि के परे) है। आप तरकस और धनुष-बाण धारण करने वाले तीनों लोकों के स्वामी हैं।सूर्यवंश के भूषण, महादेव जी के धनुष को तोड़ने वाले, मुनिराजों और सन्तों को आनन्द देने वाले तथा देवताओं के शत्रु असुरों के समूह का नाश करने वाले हैं।आप कामदेव के शत्रु महादेव जी के द्वारा वन्दित, ब्रह्मा आदि देवताओं से सेवित, विशुद्ध ज्ञानमय विग्रह और समस्त दोषों को नष्ट करने वाले हैं।हे लक्ष्मीपते ! हे सुखों की खान और सत्पुरूषों की एकमात्र गति ! मैं आपको नमस्कार करता हू । हे शचीपति (इन्द्र) के प्रिय छोटे भाई (वामनजी) ! शक्ति-स्वरूपा श्रीसीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित आपको मैं भजता हू¡।जो मनुष्य मत्सर (डाह) रहित होकर आपके चरणकमलों का सेवन करते हैं, वे तर्क-वितर्क (अनेक प्रकार के सन्देह) रूपी तरंगों से पूर्ण संसार रूपी समुद्र में नहीं गिरते।जो एकान्तवासी पुरूष मुक्ति के लिये, इन्द्रियादि का निग्रह करके (उन्हें विषयों से हटाकर) प्रसन्नतापूर्वक आपको भजते हैं, वे स्वकीय गति को (अपने स्वरूप को) प्राप्त होते हैं।उन (आप) को जो एक (अद्वितीय), अद्भूत (मायिक जगत् में विलक्षण), प्रभु (सर्वसमर्थ), इच्छारहित, ईश्वर (सबके स्वामी), व्यापक, जगद्गुरू, सनातन (नित्य), तुरीय (तीनों गुणों से सर्वथा परे) और केवल (अपने स्वरूप में स्थित) हैं।(तथा) जो भावप्रिय, कुयोगियों (विषयी पुरूषों) के लिये अत्यन्त दुर्लभ, अपने भक्तों के लिये कल्पवृक्ष, सम और सदा सुखपूर्वक सेवन करने योग्य हैं, मैं निरन्तर भजता हू¡।हे अनुपम सुन्दर ! हे पृथ्वीपति ! हे जानकीनाथ ! मैं आपको प्रणाम करता हू¡। मुझपर प्रसन्न होइये, मैं आपको नमस्कार करता हू¡। मुझे अपने चरणकमलों की भक्ति दीजिये।
जो मनुष्य इस स्तुति को आदरपूर्वक पढ़ते हैं, वे आपकी भक्ति से युक्त होकर आपके परमपद को प्राप्त होते हैं, इसमें सन्देह नहीं है।

मैंने बालको को बुद्धि बढाने में इस स्रोत्र का चमत्कारी प्रभाव देखा है इसलिए इसे यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ . सम्माननीय पाठको से निवेदन है की इस संकलित सामग्री पर अपनी बहुमूल्य कमेन्ट दे, साथ ही ब्लॉग में डायरेक्ट हिंदी लिखने का कोई आसान फंडा हो तो बताएं.


Wednesday, February 9, 2011

दोस्तों मै पहली बार अपने ब्लॉग में कुछ लिख रहा हूँ ,अतः आशा करता हूँ की आप लोगों को पसंद आएगा ,मेरे पास आध्यात्मिक ,आर्थिक,सामाजिक,औषधीय मसाला  भरा पड़ा है जिसे मै आप सभी गणमान्य पाठकों से बाटना चाहता हूँ. आप सभी महानुभावों का समर्थन और आशीर्वाद  चाहता हूँ, कृपया अपने जवाब भेजे ताकि लिखने के लिए मेरे हौसंला बड़े.
धन्यवाद 
आपका ही
डॉ.ब्रिजेश गुप्ता 
            (B.H.M.S.)